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Chhath Puja samagri

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से सप्तमी तिथि के सूर्योदय तक छठ पूजा का पर्व चलता है। मुख्य तौर पर कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठी मैया की पूजा होती है। छठ पर्व दिवाली के 6 दिन बाद मनाया जाता है। छठ पूजा में विशेष तौर पर सूर्य और छठ मैया की पूजा की जाती है। उनकी पूजा से संतान प्राप्ति, संतान की रक्षा और सुख समृद्धि का वरदान प्राप्त होता है। छठ मैया को सूर्य देव की बहन माना जाता है। चार दिनों तक चलने वाला छठ महापर्व मुख्य तौर पर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में हर्षोल्लास से मनाया जाता है। हालांकि अब इन क्षेत्रों के लोगों के देश के अन्य हिस्सों में रहने के कारण दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े महानगरों में भी छठ पूजा की धूम देखने को मिलती है। छठ पूजा में मुख्यत: चार पड़ाव होते हैं— पहला दिन: नहाय खाय – कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को होता है। दूसरा​ दिन: खरना और लोहंडा – कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को होता है। तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य – कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होता है। इसी दिन छठी मैया की विशेष पूजा भी होती है। चौथा दिन: ऊषा अर्घ्य, पारण का दिन – कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को होता है। इस दिन माताएं पारण कर व्रत पूर्ण करती हैं। छठ पूजा के चारों दिनों व्रती के घर में भजन और लोकगीत गाए जाते हैं। मुख्यत: यह व्रत महिलाएं ही रखती हैं, लेकिन पुरुष भी यह व्रत रख सकते हैं। कठिन नियम और सयंम से व्रत पूर्ण करने पर संतान प्राप्ति और संतान की कुशलता का वरदान प्राप्त होता है। मनोवांछित कार्यों की सफलता के लिए पुरुष भी छठ मैया का व्रत रखते हैं। संतान प्राप्ति और संतान की मंगलकामना का यह व्रत रखने के लिए कई दिनों पहले से ही तैयारियां प्रारंभ हो जाती हैं। जिस तरह से हर व्रत के लिए विशेष पूजा सामग्री की जरूरत होती है, ठीक वैसे ही छठ पूजा के लिए भी विशेष पूजा सामग्री की आवश्यकता पड़ती है। यदि आप पहली बार व्रत रखने वाली हैं तो आपको छठ पूजा सामग्री के बारे में जानकारी होनी चाहिए। यदि आपको इसके बारे में जानकारी नहीं है तो परेशान होने की आवयकता नहीं है। हम आपको बता रहे हैं कि छठ पूजा में किन-किन चीजों की आवश्यकता होती है, जिनका प्रबंध आप व्रत रखने से पूर्व ही कर लें तो आपके लिए सुविधाजनक होगा।

छठ पूजा सामग्री

1. अपने लिए नए वस्त्र जैसे सूट, साड़ी और पुरुषों के लिए कुर्ता-पजामा या जो उन्हें सुविधाजनक हो। 2. छठ पूजा का प्रसाद रखने के लिए बांस की दो बड़ी-बड़ी टोकरियां खरीद लें। 3. सूप, ये बांस या फिर पीतल के हो सकते हैं। 4. दूध तथा जल के लिए एक ग्लास, एक लोटा और थाली। 5. 5 गन्ने, जिसमें पत्ते लगे हों। 6. नारियल, जिसमें पानी हो। 7. चावल, सिंदूर, दीपक और धूप। 8. हल्दी, मूली और अदरक का हरा पौधा। 9. बड़ा वाला मीठा नींबू (डाभ), शरीफा, केला और नाशपाती। 10. शकरकंदी तथा सुथनी। 11. पान और साबुत सुपारी। 12. शहद। 13. कुमकुम, चंदन, अगरबत्ती या धूप तथा कपूर। 14. मिठाई। 15. गुड़, गेहूं और चावल का आटा। सूर्य की उपासना का महापर्व छठ, इस व्रत के हैं चार अहम पड़ाव गुड़ और गेहूं के आटे से बना ठेकुआ छठ पूजा का प्रमुख प्रसाद होता है, इसके बिना छठ पूजा अधूरी मानी जाती है। प्रसाद के रूप में चावल के आटे से बना लड्डू (जिसे स्थानीय भाषा में कसार कहते हैं।) भी चढ़ाया जाता है। बांस की टोकरी में पूजा का सामान रखकर पुरुष उसे अपने सिर पर लेकर घाट तक पहुंचाते हैं। पूजा में गन्ना जरूर होना चाहिए, इसकी आवश्यकता अर्घ्य देने के समय पड़ती है। पूजा के दौरान इस बात का खास ध्यान रखा जाता है कि कोई भी सामग्री जूठी न हो। साफ सामग्री का इस्तेमाल ही छठ पूजा में करें।